डॉ. सी के राउत की पत्नी सोनी का आरोप: 17 साल तक रही बंदी, तलाक के लिए दबाव


सोनी राउत के साथ डा. सी के राउत की शादी कब और कैसे परिवेश मे हुई यह तो पता नहीं । लेकिन अब जब उनकी पत्नी मिडिया मार्फत जन समक्ष आई हैं तब जानकारी हो रही है कि उनकी शादी के सत्रह साल हो चुके हैं और डा. सी के राउत तीन बच्चों के पिता भी हैं। उनको अपने एक बच्चे के साथ सोशल मिडिया में मैंने तब पहली बार देखा था जब डा. राउत अपने मुद्दे की तारीख के लिए रौतहट के जिल्ला अदालत पहुँचे थे । सुरक्षा के लिहाज से यह उनके लिए संवेदनशील समय था । अदालत परिसर में गाडी से उतरते समय उन्होंने अपने बच्चे को गोद में ले रखा था । उसी वक्त मुझको लगा था कि बच्चे को वे अपनी रक्षा कवच के रुप में प्रयोग कर रहे हैं । मुझको वह दृश्य थोडा अजीब सा लगा था ।
सत्रह साल के दरम्यान उनकी पत्नी या बच्चों की कोई भी सामूहिक तस्वीर सार्वजनिक नहीं हुई थी लेकिन हाल ही में उनकी पत्नी सोनी ललितपुर जिला प्रहरी परिसर में पहली बार दिखी हैं । घरेलु हिंसा से पीडित सोनी शांति सुरक्षा के लिए निवेदन दर्ज कराने प्रहरी परिसर पहुँची थीं । यह कैसी विडम्बना है कि सिधु घर की चारदीवारी से बाहर निकल कर मिडिया समक्ष तब आयीं हैंं जब डा सी के राउत ने अदालत में उनसे तलाक लेने के लिए अदालत में अर्जी दे रखी है । सोनी के कहे अनुसार तलाक के कागज पर उसने तमाम दबाव के बावजूद घर की चारदीवारी के भीतर हस्ताक्षर नहीं किया है। सोनी ने मिडिया समक्ष बडे ही सटीक भाषा में कहा कि उन्हें तलाक नहीं चाहिए और नेपाल के कानून अनुसार न्याय चाहिए।
१७ साल तक लगभग बंदी जीवन बिताने वाली सोनी राउत मुझे साधारण महिला नहीं लगी । बहुत कठिन समय में अकेले उस महिला ने जिस प्रकार से अपने आपको सम्हाल कर ं शांति और दृढता के साथ अपनी पीडा का बयान किया है, उसको सामान्य नहीं माना जा सकता है । वह अभिव्यक्ति सिंधु के सशक्त व्यक्तित्व के एक पक्ष का परिचय देने के लिए पर्याप्त है । प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से स्वतन्त्र मधेश अभियान से जुडी सोनी घर की चार दिवारी के अन्दर बहुत लम्बे समय से अपनी पहचान और स्वतन्त्रताके लिए मानसिक और शारीरिक रुप से संघर्ष कर रही थी जिससे उनके सशक्त व्यक्तित्व का निर्माण हुआ है ।
सोनी राउत का मामला एक राजनीतिक विषय है । वे एक नेता की पत्नी होने के साथ भारतीय मूल की और नेपाल की वैवाहित अंगीकृत नागरिक हैं । नेपाल में इस पहचान के साथ जीना आसान नही है। बहुत सारे पूर्वाग्रह और विभेद के साथ लडते लडते जिदगी बीत जाती है और जीवन का अनुभव लोगों के साथ बाँटना भी कठिन है क्योंकि पूवाग्रह और राजनीति वहाँ पर भी काम करता है । यहाँ तक की पति पत्नी के बीच का अन्तरंग जीवन भी पूर्वाग्रह और राजनीति से मुक्त नहीं रहता है । और जब कुछ सम्पत्ति हो तब तो पूरा परिवार ही पूर्वाग्रही और विरोधी हो जाता है । परिवार और समाज के बाद राज्य आता है । राज्य का वैवाहिक अंगीकृत नागरिकों के बारेमा क्या दृष्टिकोण है वह तौ संविधान सभा से लेकर हाल नागरिकता कानून के संशोधन के दरम्यान तक इस बारे में जिस प्रकार से सार्वजनिक बहस हुई उससे तो यही प्रतीत होता है कि नेपाल में भारतीय मूल की लडकियो का वैवाहिक अंगीकृत नागरिक होना एक अपराध है । यह जो नगरिकता पत्र हाथ में आने के बाद ही बहुत कुछ बदल जाता है अपने अन्दर भी और अगल बगल भी बहुत कुछ बदल जाता है । कुछ भी सामान्य नहीं रह जाता है ।
सोनी की द्वारा उस दिन सार्वजनिक रुप से कही कुछ बातें कही गयी थी जो सोनी की अवस्था को समझने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है । सोनी ने कहा था कि मेरी पहचान को डाक्टर साहब अब तक दबा कर रखा है ।सोनी ने कहा है कि उनको डिपे्रशन की गोटियों के साथ और भी बहुत सारी दवाइयाँ खिलाई जाती थीं। उसने यह भी कहा कि डा राउत कहते हैं कि उनका जीवन मेरे साथ सुरक्षित नहीं है । सभी आरोप बहुत ही गम्भीर प्रकृति के है ।
यदि तलाक लेने के लिए झूठे आधार और कारण तय किए गये हैं तो तलाक मांगने वालें का मानसिक परीक्षण आवश्यक है । इस सम्बन्ध में सिंधु का भी मानसिक परीक्षण आवश्यक हो तो किया जाए । सोनी का कहना है कि अगर पति उसके साथ नहीं रहना चाहते हैं तो वह अपने बच्चों के साथ रहना चाहती है । उसने यह भी कहा है कि बच्चों के सही विकास के लिए यह आवश्यक होता है कि उन्हें मा और बाप दोनों का प्यार और संरक्षण मिले । उसकी बातों से यह भी स्पष्ट हो रहा था कि वह पति मोह से मुक्त हो चुकी है । उसने कहा है कि उसको निरन्तर डिप्रेसन की दवा खिलाई जा रही थी और अब जब उसने दपवा लेना बंद कर दिया है तब वह उसका जीवन सामान्य ढंग से व्यतीत हो रहा हैं । सिंधु का मेडिकल टेस्ट होना चाहिए की उसको कौन सी दवाइयाँ खिलाई जा रही थीं और, किस डाक्टर के सल्लाह के अनुसार खिलाई जा रही थीं और क्या उन दवाइयों की आवश्यकता सिंधुको थी । तलाक मांगने के कारणों और आधार के बारे में छानबीन आवश्यक है ।
सोनी भारत के बिहार के पूर्णिया जिला से है । वह एक ऐसे कौम से है जिसके लिए यह देश हमेशा बेगाना और विभेदकारी रहेगा । उसके पति नेपाल के उदीयमान नेता के रुप में जाने जाते हैं । छोटी पार्टी के नेता का महत्व और आवश्यकता बडी शक्तियाँ तय करती हैं और वैवाहिक अंगीकृत नागरिकों का स्थान कानून से ज्यादा राज्य और राजनीति करती है । वैवाहित अंगीकृत नागरिक के मुद्दे के विषय में राज्य का नस्लवादी चरित्र सामने आ आता है । आनंदी देवी और मैं स्वयं उसके उदाहरण हैं ।इसीलिए कानून सम्मत न्याय की बातें एक तरफ होती हैं लेकिन जब समय आता है तब न्याय का तराजु दूसरी तरफ अर्थात् अन्याय की तरफ ढलक जाता है । इसी लिए सोनी का मुद्दा कैसे आगे बढता है, यह आने वाले दिनों में गहराई से देखना और समझना होगा ।
पहले संविधान सभा में ही भारतीय मूल की महिलाओं के वैवाहिक अंगीकृत नागरिकता के विषय को अत्यन्त संवेदनशील बना दिया गया है । वैवाहिक अंगीकृत नागरिकों के अधिकारों के विरुद्ध राष्ट्रव्यापी मुहिम चलाया गया है और दूसरे संविधान सभा से पारित संविधान में वैवाहिक अंगीकृत नागरिकों के राजनीतिक अधिकार में भारी कटौती कर दी गयी । कहा जाता है कि वैवाहिक अंगीकृत नागरिकों के अधिकारो में कटौती उत्तरी पडोसी चीन के इशारे पर किया गया था । नये संविधान में अब कोई वैवाहिक अंगीकृत महिला नागरिक सार्वभौम सत्ता सम्पन्न नागरिक नहीं है। यह तो भारत के साथ सम्बन्ध को सुधारने की बात थी कि भारत से विवाह कर आने वाली महिलाओं को नागरिकता प्राप्त करने के लिए सात वर्ष का प्रावधान कई वर्षें की कडी मशक्कत के बावजूद भी रातों राथ हटाया गया ।
संविधानतः वह दूसरे या तीसरे दर्जे की नागरिक है । इस अवस्था में वैवाहिक अंगीकृत नागरिकों के विरुद्ध हिंसा और विभेद का बढना स्वाभाविक है । यह तो भारत के साथ सम्बन्ध सुधारने की बात थी कि भारत से विवाह कर आने वाली महिलाओं को नागरिकता प्राप्त करने के लिए सात वर्ष का प्रस्तावित प्रावधान नागरिकता कानून से कई वर्षेां की कडी मशक्कत के बावजूद भी दलों को रातों रात हटाना पडा ।
सोनी का विवाद जिस ढंग से अचानक सामने आया है , वह सामान्य नहीं है ।प्रश्न उठता है कि अगर सोनी भारतीय मूल की नेपाल की वैवाहिक अंगीकृत नागरिक नहीं होती तो क्या जिस प्रकार से अचानक एक झटके में सोनी को तलाक लेने के लिए अदालत में खडा कर दिया गया है, वह सम्भव होता ?